देश का युवा सड़कों पर: सपनों पर लाठीचार्ज, सवाल बेकसूर
भारत का युवा आज सड़कों पर है। न हथियार लिए, न हिंसा की मंशा, बस अपने भविष्य के लिए सवाल पूछ रहा है। लेकिन जवाब में उसे क्या मिल रहा है? लाठियाँ, आंसू गैस और सिस्टम का रवैया, जो उसकी मेहनत का मज़ाक उड़ा रहा है। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की परीक्षाएँ लाखों युवाओं के लिए एक सपना हैं, जो उन्हें सरकारी नौकरी के ज़रिए सम्मानजनक जीवन की उम्मीद देती हैं। लेकिन जब यही प्रक्रिया सवालों के घेरे में हो, जब पेपर लीक, अनियमितताएँ और भ्रष्टाचार की खबरें सामने आएँ, तो भरोसा कैसे बचेगा? यह लेख उस युवा की आवाज़ है, जो सड़कों पर लाठियाँ खा रहा है, जो अपने हक़ के लिए लड़ रहा है, और जिसका सवाल है—कब तक सिस्टम उसकी मेहनत का मज़ाक उड़ाएगा?
SSC और युवाओं का टूटता भरोसा
SSC की परीक्षाएँ भारत में लाखों युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर मानी जाती हैं। CGL, CHSL, MTS जैसी परीक्षाएँ न केवल नौकरी का रास्ता खोलती हैं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक बदलाव का ज़रिया भी हैं। लेकिन हाल के वर्षों में बार-बार पेपर लीक, परिणामों में देरी, और प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी ने इस संस्थान की साख पर सवाल उठाए हैं।
2025 में भी स्थिति जस की तस है। युवा सड़कों पर उतर रहे हैं, क्योंकि उनकी मेहनत और समय को बार-बार नजरअंदाज किया जा रहा है। पेपर लीक की खबरें, अनियमितताओं की शिकायतें, और अपारदर्शी भर्ती प्रक्रिया ने युवाओं का विश्वास तोड़ा है। हाल ही में, SSC CGL और अन्य परीक्षाओं के आसपास उठे विवादों ने लाखों उम्मीदवारों को सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया। उनकी माँगें साफ हैं—न्याय, पारदर्शिता और समयबद्ध परिणाम।
सड़कों पर लाठियाँ, सपनों पर वार
जब कोई युवा अपनी किताबें छोड़कर सड़क पर उतरता है, तो वह सिर्फ़ अपनी नौकरी के लिए नहीं लड़ रहा, बल्कि अपने परिवार की उम्मीदों, अपने गाँव-शहर की आकांक्षाओं और अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ रहा है। लेकिन जवाब में उसे लाठियाँ मिल रही हैं। यह लाठीचार्ज सिर्फ़ शारीरिक नहीं, बल्कि देश के भविष्य पर प्रहार है। हर लाठी के साथ एक सपना टूट रहा है, हर आंसू गैस के गोले के साथ एक उम्मीद दम तोड़ रही है।
युवा पूछ रहा है—क्या उसका मेहनत करना गुनाह है? क्या उसका सवाल पूछना अपराध है? सिस्टम की खामियों को उजागर करना क्या देशद्रोह है? नहीं, यह देश का युवा है, जो देश का भविष्य है। उसकी आवाज़ को दबाना, उसके सवालों को अनसुना करना, देश के भविष्य को दबाने जैसा है।
सिस्टम की खामियाँ: कहाँ है जवाबदेही?
SSC की भर्ती प्रक्रिया में कई समस्याएँ हैं, जो बार-बार उजागर हो रही हैं:
- पेपर लीक: बार-बार पेपर लीक होने की खबरें सामने आती हैं। इससे न केवल मेहनती छात्रों का समय बर्बाद होता है, बल्कि उनकी मेहनत पर भी सवाल उठता है।
- पारदर्शिता की कमी: परिणामों में देरी, कट-ऑफ में बदलाव और प्रक्रिया में अस्पष्टता ने विश्वास को कम किया है।
- अनियमितताएँ: कुछ केंद्रों पर गड़बड़ियों की शिकायतें, जैसे प्रश्नपत्रों का गलत वितरण या तकनीकी खामियाँ, बार-बार सामने आ रही हैं।
- जवाबदेही का अभाव: जब युवा सवाल पूछते हैं, तो सिस्टम जवाब देने के बजाय उन्हें चुप कराने की कोशिश करता है।
इन समस्याओं का समाधान संभव है, बशर्ते सिस्टम में सुधार की इच्छाशक्ति हो। डिजिटल युग में, जब तकनीक हर क्षेत्र में पारदर्शिता ला रही है, SSC जैसी संस्थाएँ क्यों पीछे हैं? ब्लॉकचेन-आधारित परीक्षा प्रणाली, समयबद्ध परिणाम और कठोर निगरानी जैसे कदम इन समस्याओं को कम कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए ज़रूरी है जवाबदेही और पारदर्शिता को प्राथमिकता देना।
युवा की माँग, देश की पुकार
युवाओं की माँगें जटिल नहीं हैं। वे चाहते हैं:
- पारदर्शी और समयबद्ध भर्ती प्रक्रिया: परीक्षाएँ समय पर हों, परिणाम समय पर आएँ, और प्रक्रिया में कोई संदेह न रहे।
- पेपर लीक पर कठोर कार्रवाई: दोषियों को सजा मिले, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
- सुधार और जवाबदेही: सिस्टम में सुधार हो, और गलतियों के लिए जवाबदेही तय की जाए।
- सम्मान: युवाओं के सवालों को अपराध न माना जाए, बल्कि उनकी आवाज़ सुनी जाए।
यह माँगें सिर्फ़ SSC उम्मीदवारों की नहीं, बल्कि देश के हर उस युवा की हैं, जो अपने भविष्य के लिए मेहनत कर रहा है। यह पुकार उस माँ की है, जो अपने बेटे-बेटी की मेहनत को बेकार जाते देख रही है। यह पुकार उस गाँव की है, जो अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत करता है।
अब जवाब देना होगा
युवा सड़कों पर हैं, क्योंकि सिस्टम ने उन्हें और कोई रास्ता नहीं छोड़ा। लेकिन यह समय है कि सिस्टम जागे। यह समय है कि SSC और सरकार जवाबदेही दिखाएँ। यह समय है कि देश का युवा अपनी मेहनत का फल पाए, न कि लाठियाँ।
हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि इस आवाज़ को बुलंद करें। सोशल मीडिया पर, सड़कों पर, और हर मंच पर इस मुद्दे को उठाएँ। यह लेख सिर्फ़ एक शुरुआत है। इसे शेयर करें, इसे हर उस व्यक्ति तक पहुँचाएँ, जो बदलाव चाहता है।
निष्कर्ष: युवा की आवाज़, देश का भविष्य
भारत का युवा सिर्फ़ नौकरी नहीं माँग रहा, वह अपने सम्मान, अपने हक़ और अपने सपनों की रक्षा माँग रहा है। SSC और अन्य भर्ती प्रक्रियाओं में सुधार न केवल युवाओं का हक़ है, बल्कि देश के भविष्य की ज़रूरत है। आइए, इस आवाज़ को दबने न दें। आइए, इस लड़ाई को हर मंच पर ले जाएँ। क्योंकि जब तक युवा सड़कों पर लाठियाँ खाएगा, देश का भविष्य सवालों के घेरे में रहेगा।